
निश्चित रूप से, Prof. D. P. Agrawal ने सिविल सेवा और यूपीएससी से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर एक बहुत ही जानकारीपूर्ण और विस्तृत बातचीत की है। आपने परीक्षा की प्रकृति, आवश्यक मानसिकता और उम्मीदवारों को सफल होने के लिए जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, उन पर प्रकाश डाला है।
आपने जो मुख्य बातें साझा की हैं, उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. यूपीएससी का संवैधानिक दर्जा
आपने स्पष्ट किया कि कैसे यूपीएससी (और अन्य लोक सेवा आयोग) को संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 के तहत स्वायत्तता प्रदान की गई है ताकि भाई-भतीजावाद और भेदभाव से मुक्त निष्पक्ष चयन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके।
2. यूपीएससी की विश्वसनीयता
आपने बताया कि यूपीएससी का 80-85 वर्षों का इतिहास बेदाग रहा है, जिससे उम्मीदवारों को यह विश्वास मिलता है कि यदि वे कड़ी मेहनत करते हैं और ईमानदार हैं, तो उनका चयन होगा, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो।
3. परीक्षा में बदलाव की आवश्यकता
आपने इस बात पर ज़ोर दिया कि समाज और प्रौद्योगिकी में बदलाव के साथ, यूपीएससी परीक्षा को भी गतिशील होना चाहिए। डिजिटल इंडिया और एआई के युग में, छात्रों को सिर्फ रटने के बजाय सोचने और समझने की आवश्यकता है।
4. प्रश्नों की प्रकृति में बदलाव
आपने समझाया कि कैसे अब यूपीएससी के प्रश्न अधिक विचारोत्तेजक और विश्लेषणात्मक होते जा रहे हैं, जिसमें उम्मीदवार से विषय की गहन समझ और व्यावहारिक अनुप्रयोग की उम्मीद की जाती है।
5. ईमानदारी और जवाबदेही
एक सिविल सेवक के रूप में ईमानदारी और जवाबदेही के महत्व पर प्रकाश डाला गया। एक अधिकारी को अपने हर निर्णय की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है।
6. सफलता के लिए मानसिकता
आपने इस बात पर जोर दिया कि सफलता के लिए सिर्फ कड़ी मेहनत ही नहीं, बल्कि एक सही मानसिकता, आत्म-मूल्यांकन, और लगातार सुधार की इच्छा भी आवश्यक है। आपने “कुछ अंकों से चूक जाने” के विचार को भी खारिज किया, यह समझाते हुए कि हर बार एक नया प्रतिस्पर्धा होती है।
7. प्रेरणा और लक्ष्य निर्धारण
आपने उम्मीदवारों को सिविल सेवा में आने के पीछे अपनी प्रेरणा निर्धारित करने और अपने लक्ष्यों पर टिके रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
8. जनरलिस्ट बनाम स्पेशलिस्ट
आपने समझाया कि सिविल सेवा परीक्षा का उद्देश्य जनरलिस्ट नौकरशाहों का चयन करना है जो समाज को समझते हैं और सरकारी नीतियों को लागू कर सकते हैं। इसलिए, इसमें मानविकी पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन आज के युग में विज्ञान पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए भी वैज्ञानिक स्वभाव महत्वपूर्ण है।
9. व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test)
आपने व्यक्तित्व परीक्षण के महत्व पर विस्तार से बताया, जहाँ उम्मीदवारों से नेतृत्व, दूरदर्शिता, अनुशासन, व्यावहारिकता, और संकट प्रबंधन जैसे गुणों की अपेक्षा की जाती है। आपने यह भी स्पष्ट किया कि ईमानदारी और सच्चाई व्यक्तित्व परीक्षण में महत्वपूर्ण हैं और झूठ बोलने से बचना चाहिए।
10. अपनी कमजोरियों को जानना
आपने इस बात पर जोर दिया कि हर उम्मीदवार को अपनी कमजोरियां सबसे अच्छी तरह पता होती हैं और उन्हें दूर करने के लिए काम करना चाहिए।
सकारात्मकता और कर्मठता की प्रेरणा
आपने कविता “कुछ काम करो, कुछ काम करो” का उल्लेख किया, जो निराशा से बचने और निरंतर कर्म करने की प्रेरणा देती है। आपका यह संदेश कि हर व्यक्ति को जीवन में कुछ न कुछ करना चाहिए, मुंडकोपनिषद में वर्णित तीन प्रकार के लोगों की अवधारणा से और पुष्ट होता है:
- निकृष्ट कोटि के लोग: वे जो डर के कारण कुछ भी नहीं करते और अपनी क्षमता को व्यर्थ जाने देते हैं।
- मध्यम कोटि के लोग: वे जो शुरुआत तो करते हैं, लेकिन कठिनाई आने पर हार मान लेते हैं और अपना लक्ष्य छोड़ देते हैं।
- सर्वोच्च कोटि के लोग: गांधीजी जैसे लोग, जो हर कठिनाई का सामना करते हैं, और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अडिग रहते हैं।
आपका कहना है कि हमें सोच-समझकर अपने लिए काम करना चाहिए, न कि माता-पिता या साथियों के दबाव में। जब तक आपका लक्ष्य पूरा न हो जाए, कठिनाइयों के बावजूद उस पर अडिग रहें।
सेवा भाव और निस्वार्थता
आपने अपने व्यक्तिगत अनुभव से यह स्पष्ट किया कि एक बार जब अधिकारी का चयन हो जाता है, तो आपका संबंध केवल यह सुनिश्चित करने तक सीमित रहता है कि चयन प्रक्रिया निष्पक्ष थी। आपने कभी किसी अधिकारी के पास व्यक्तिगत काम के लिए नहीं गए और पद छोड़ने के बाद भी अपनी जिम्मेदारियों से परे किसी सम्मान या लाभ की अपेक्षा नहीं की। यह निस्वार्थ सेवा और पद की मर्यादा बनाए रखने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
आपका यह वाक्य, “मेरा काम था मैंने किया यह दर्शाता है कि आपने अपने कर्तव्यों को पूरा किया और अब किसी भी प्रकार के अतिरिक्त सम्मान या एहसान की अपेक्षा नहीं करते। यह एक सच्चे लोक सेवक की भावना को दर्शाता है।
जीवन में संतोष और उपलब्धि
जब आपसे यह पूछा गया कि क्या आपको अपने चुने हुए अधिकारियों को देखकर कोई संतोष या पछतावा होता है, तो आपने कहा कि आपको संतोष इस बात का है कि आपकी चयन प्रक्रिया सही थी। आप अधिकारियों के निजी जीवन या करियर में हस्तक्षेप नहीं करते, बल्कि उन्हें सम्मान से देखते हैं जब वे आपको मिलते हैं। यह इस बात पर जोर देता है कि आपकी प्राथमिकता हमेशा संस्थागत अखंडता और निष्पक्षता रही है।
आपकी बातचीत इस बात पर बल देती है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण पद नहीं, बल्कि आपकी ईमानदारी, कर्मठता और निस्वार्थ सेवा है। यही वो चीज़ें हैं जो आपको दीर्घकालिक संतोष और समाज में सम्मान दिलाती हैं।
यह एक बहुत ही मूल्यवान और प्रेरणादायक संदेश है, खासकर उन लोगों के लिए जो सिविल सेवाओं में प्रवेश करना चाहते हैं या किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करना चाहते हैं
Such deep and powerful insights by DP Agrawal Sir. You can truly feel the honesty and integrity in his words. Big thanks to BAPS Pramukh Academy for sharing this valuable blog!